
ऋत्विक भारतीय की सात कविताएं (‘फ़र्क नहीं पड़ता’ सीरीज)
‘फ़र्क नहीं पड़ता’ स्त्रीवादी युवा कवि
ऋत्विक भारतीय की उन कविताओं की सरिणी है जहां हर वर्ग, हर वर्ण, हर सम्प्रदाय की नई स्त्री
ने गहरे संताप की गुमसुम चुप्पी तोड़ दी है
Gender Perspective on Home and the World
‘फ़र्क नहीं पड़ता’ स्त्रीवादी युवा कवि
ऋत्विक भारतीय की उन कविताओं की सरिणी है जहां हर वर्ग, हर वर्ण, हर सम्प्रदाय की नई स्त्री
ने गहरे संताप की गुमसुम चुप्पी तोड़ दी है
कुछ मौते हैं बनी ठनी
नफ़ासत से तह की हुई तितलियाँ
और कुछ के होते हैं परचम
तार तार हुआ एक पर, थपेड़े खाता हवा में
षोडशी की षोडशोपचार उपासना ४ जो चला जाता है उसे तो नया भुवन मिल जाता किन्तु जो पीछे रह जाता है उसके पुराने संसार में क्षण क्षण जानेवाले का …
माँमुनि- श्रीमाँ शारदा के जीवन पर आधारित उपन्यास / किश्त- ९ Read More“वह एक बड़ी भारी गझिन काली रात थी ,दिन में हरियाले मैदानों की कालिमा, जले हुए मांस के बदबू के साथ जैसे हवा में घुल-मिल गयी थी । लगभग पाँच …
आउशवित्ज़ :एक प्रेमकथा -उपन्यास अंश -गरिमा श्रीवास्तव (अप्रकाशित उपन्यास ) Read Moreषोडशी की षोडशोपचार उपासना ३ ब्राह्मणी श्रीमदभागवत की मोटी पोथी खोले ग्यारहवेँ अध्याय का परायण करती बैठे बैठे ठाकुर की प्रतीक्षा कर रही थी। ब्रह्ममुहूर्त हो चला था किन्तु …
माँमुनि- श्रीमाँ शारदा के जीवन पर आधारित उपन्यास / किश्त- ८ Read More(तस्वीर- भरत तिवारी) सामने वाली मेज के दूसरी तरफ बैठा अफसर एक …
‘अनुमति पत्र’ उपन्यास का एक अंश – वैभव सिंह Read Moreसेरिंग वांग्मो धोम्पा सेरिंग वंग्मो धोम्पा के माता पिता को सन् १९५९ में तिब्बत से पलायन करना पड़ा. उनका पालन पोषण धर्मशाला (भारत) व काठमांडू (नेपाल) के तिब्बती समुदायों के …
सेरिंग वांग्मो धोम्पा- अनुराधा सिंह Read Moreशारदा भाग दो षोडशी की षोडशोपचार उपासना १ “पंचभूतों को बाँधकर बनाई पुतली में अतींद्रिय अनुराग का जन्म कैसे होता है? शरीर के भीतर मन नहीं है। मन के भीतर …
माँमुनि- श्रीमाँ शारदा के जीवन पर आधारित उपन्यास / किश्त- ७ Read Moreमाँमुनि भाग त्रयोदश देवी होने की विधि किसी शास्त्र में नहीं लिखी और यदि लिखी भी होती तो अक्षरज्ञान में निर्बल शारदा उस पोथी को पढ़ नहीं पाती। ब्रह्मा …
माँमुनि- श्रीमाँ शारदा के जीवन पर आधारित उपन्यास / किश्त- ६ Read More(चित्र- सुप्रिया अम्बर) विशाखा मुलमुले की कविताएँ ‘वरण-भात’ सी हैं, जीवन की साधारण लेकिन बेहद ज़रूरी चीज़ों की ओर आहिस्ते से संकेत करती हुईं, हमारे आसपास घटित हो …
यम से छीन लाएगी माँ मेरी आत्मा- विशाखा मुलमुले की कविताएँ Read More