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मृत्यु – नींद का नीला फूल है : बाबुषा कोहली की कविताएँ(2)
जानना नीम का पेड़ नहीं जानता कि नीम है उसका नाम न पीपल के पेड़ को पता कि वह पीपल है यह तो आदमी है जो जानता है …
मृत्यु – नींद का नीला फूल है : बाबुषा कोहली की कविताएँ(2) Read Moreजानना नीम का पेड़ नहीं जानता कि नीम है उसका नाम न पीपल के पेड़ को पता कि वह पीपल है यह तो आदमी है जो जानता है …
मृत्यु – नींद का नीला फूल है : बाबुषा कोहली की कविताएँ(2) Read More…दरअसल मेरे दोस्त !
ज़िन्दगी अपने आप में एक आतंकवादी हमला है
जिससे किसी तरह बच निकली कविता…
गूँथा हुआ जीवन पके हुए वे छेहर बाल बिखरेथे इधर उधर गुलियाए चेहरे पर हँसकर कहा उसने, “अब मेरे हाथ में समय है बालों का जंजाल कम हो गया- छेहर …
गूँथा हुआ जीवन : लक्ष्मी कनन की कविताएँ/अनुवाद – अनामिका Read More“His houses have all been left behind.
He is forever lost in the chicanery of time
that shows him houses and selves in dreams.”
…हर समय, आरम्भ से
अपने स्वयं के कोमल, सुकुमार, सुंदर, भव्य जीव के साथ।
“One yellow evening
A just stuck leaf of autumn”
रात को घर जाने से डरता हूँमेरी असफलताएं घेर लेती हैं मुझेमेरे घर पेऔर पूछती हैं वो सवालजिनके मेरे पास जवाब नहीं होते असफलताएं मेरे जीवन मेंसबसे सफल रही हैं …
रात को घर जाने से डरता हूँ – मानस भारद्वाज की कविताएँ Read More‘फ़र्क नहीं पड़ता’ स्त्रीवादी युवा कवि
ऋत्विक भारतीय की उन कविताओं की सरिणी है जहां हर वर्ग, हर वर्ण, हर सम्प्रदाय की नई स्त्री
ने गहरे संताप की गुमसुम चुप्पी तोड़ दी है
कुछ मौते हैं बनी ठनी
नफ़ासत से तह की हुई तितलियाँ
और कुछ के होते हैं परचम
तार तार हुआ एक पर, थपेड़े खाता हवा में
(चित्र- सुप्रिया अम्बर) विशाखा मुलमुले की कविताएँ ‘वरण-भात’ सी हैं, जीवन की साधारण लेकिन बेहद ज़रूरी चीज़ों की ओर आहिस्ते से संकेत करती हुईं, हमारे आसपास घटित हो …
यम से छीन लाएगी माँ मेरी आत्मा- विशाखा मुलमुले की कविताएँ Read More