Literature
भूरी झाड़ियां/ पच्चीस छोटी कविताएं – रंजना अरगडे
सूखी झाड़ियों पर फुर्ररऱ से उड़तीं भूरी चिड़ियाँ गोया सूखी झाड़ियाँ ही हों भूरी चिड़ियाँ 2 क्या रस पाती होंगी भूरी झाड़ियों पर नीली चमकती फूलचुहिया? या ढूँढतीं हैं …
भूरी झाड़ियां/ पच्चीस छोटी कविताएं – रंजना अरगडे Read Moreगहन है ये अंध-कारा – निशा नाग की समीक्षा उपन्यास कालचिती पर/लेखक शेखर मल्लिक
निराला की ये पंक्तियों उपन्यास ‘कालचिती’ की इस इबारत” अब पहले जैसा कुछ नहीं रहा…हम लोगों का सब खत्म हो रहा है जैसा” का ही पर्याय है जिसे नक्सल प्रभावी …
गहन है ये अंध-कारा – निशा नाग की समीक्षा उपन्यास कालचिती पर/लेखक शेखर मल्लिक Read Moreकविता का अनुवाद : सांस्कृतिक साझेदारी का सार्थक सोपान – रेखा सेठी
कविता को अपने जीवन में बहुत करीब महसूस करते हुए भी मैंने कभी कवितायें नहीं लिखीं। संभवतः ये अनुवाद उस खाली कोने को भरने की कोशिश भर हैं। अपने इस …
कविता का अनुवाद : सांस्कृतिक साझेदारी का सार्थक सोपान – रेखा सेठी Read Moreअपनी मौत के बिस्तर पर : चीनी मजदूर कवि सू लिज्ही की कविताएँ/ अनुवाद — सविता पाठक
30 सितम्बर 2014 को चीन के मशहूर शेनजेन औद्योगिक क्षेत्र में स्थित फॉक्सकोन कंपनी के मज़दूर सू लिज्ही ने काम की नारकीय स्थितियों से तंग आ कर आत्महत्या कर …
अपनी मौत के बिस्तर पर : चीनी मजदूर कवि सू लिज्ही की कविताएँ/ अनुवाद — सविता पाठक Read Moreगूँथा हुआ जीवन : लक्ष्मी कनन की कविताएँ/अनुवाद – अनामिका
गूँथा हुआ जीवन पके हुए वे छेहर बाल बिखरे थे इधर उधर गुलियाए चेहरे पर हँसकर कहा उसने, “ अब मेरे हाथ में समय है बालों का जंजाल कम …
गूँथा हुआ जीवन : लक्ष्मी कनन की कविताएँ/अनुवाद – अनामिका Read More