माँमुनि- श्रीमाँ शारदा के जीवन पर आधारित उपन्यास / किश्त- ९

षोडशी की षोडशोपचार उपासना ४   जो चला जाता है उसे तो नया भुवन मिल जाता किन्तु जो पीछे रह जाता है उसके पुराने संसार में क्षण क्षण जानेवाले का …

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आउशवित्ज़ :एक प्रेमकथा -उपन्यास अंश -गरिमा श्रीवास्तव (अप्रकाशित उपन्यास )

“वह एक बड़ी भारी गझिन काली रात थी ,दिन में हरियाले मैदानों की कालिमा,  जले हुए मांस के बदबू के साथ जैसे हवा में घुल-मिल गयी थी । लगभग पाँच …

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माँमुनि- श्रीमाँ शारदा के जीवन पर आधारित उपन्यास / किश्त- ८

  षोडशी की षोडशोपचार उपासना ३ ब्राह्मणी श्रीमदभागवत की मोटी पोथी खोले ग्यारहवेँ अध्याय का परायण करती बैठे बैठे ठाकुर की प्रतीक्षा कर रही थी। ब्रह्ममुहूर्त हो चला था किन्तु …

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‘अनुमति पत्र’ उपन्यास का एक अंश – वैभव सिंह

                                     (तस्वीर- भरत तिवारी)  सामने वाली मेज के दूसरी तरफ बैठा अफसर एक …

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माँमुनि- श्रीमाँ शारदा के जीवन पर आधारित उपन्यास / किश्त- ७

 शारदा भाग दो  षोडशी की षोडशोपचार उपासना १ “पंचभूतों को बाँधकर बनाई पुतली में अतींद्रिय अनुराग का जन्म कैसे होता है? शरीर के भीतर मन नहीं है। मन के भीतर …

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माँमुनि- श्रीमाँ शारदा के जीवन पर आधारित उपन्यास / किश्त- ६

  माँमुनि भाग त्रयोदश देवी होने की विधि किसी शास्त्र में नहीं लिखी और यदि लिखी भी होती तो अक्षरज्ञान में निर्बल शारदा उस पोथी को पढ़ नहीं पाती। ब्रह्मा …

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माँमुनि- श्रीमाँ शारदा के जीवन पर आधारित उपन्यास / किश्त- ५

  माँमुनि भाग एकादश  रात्रिभर शारदा सोई नहीं। ठाकुर को टेरने जाती किंतु आधे मार्ग से लौट आती। गुरुजनों की लज्जा से अन्तत: हारकर किवाड़ लगाकर रात्रिभर बैठी रही किन्तु …

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माँमुनि- श्रीमाँ शारदा के जीवन पर आधारित उपन्यास / किश्त- ४

  खंजनाक्षी अपराह्न होते ही घर आ जाती थी। उस काल और भूगोल में विधवाओं से सौभाग्यवती अधिक बोलचाल नहीं रखती थी। खंजनाक्षी बालविधवा थी किन्तु श्यामसुन्दरीदेवी की परम सखी …

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माँमुनि- श्रीमाँ शारदा के जीवन पर आधारित उपन्यास / किश्त- ३

    चन्द्रामणिदेवी भीत दृष्टि से भीति पर खड़िया से बनी आकृतियाँ देखती रही। गौरी-गणेश मनाती रही कि भोर तक नववधू के काका का मन पलट जाए और वह बहू …

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माँमुनि- श्रीमाँ शारदा के जीवन पर आधारित उपन्यास / किश्त- २- अम्बर पाण्डेय

  अर्धरात्रि को भोजन करके घरभर गहरी निद्रा में सो रहा था। गृहस्थी की गिलहरियाँ, मूषक, नाग, बिलोटे, छाजन पर रहनेवाले काक, शुक, कपोत, पीपिलिकाएँ सभी विश्राम कर रहे थे। …

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