
कांच के मोतियों का पर्दा (लक्ष्मी कन्नन के प्रसिद्ध उपन्यास का एक अंश )
“’एसे ऑफ एलिया’ पर जो होमवर्क दिया था, कर लिया पूरा?” सूजन ओ लेेरे ने कहा।
कांच के मोतियों का पर्दा (लक्ष्मी कन्नन के प्रसिद्ध उपन्यास का एक अंश ) Read MoreGender Perspective on Home and the World
“’एसे ऑफ एलिया’ पर जो होमवर्क दिया था, कर लिया पूरा?” सूजन ओ लेेरे ने कहा।
कांच के मोतियों का पर्दा (लक्ष्मी कन्नन के प्रसिद्ध उपन्यास का एक अंश ) Read Moreचित्रकला इतिहास में कई चित्र अपने कलात्मक गुणों के कारण ही नहीं, बल्कि अपनी ऐतिहासिकता के लिए भी महत्त्वपूर्ण माने जा सकते हैं। ऐसा ही एक चित्र है- ‘पूरब अपनी …
झूठ को सच बनाने की साजिश और चित्रकला -अशोक भौमिक (स्तंभ- 1) Read MoreOn days like today, I sense a cold wind flourishing inside me, making room for the thriving tree of my desolation
DESOLATE DAYS Read MoreGolden Girls” “Away with your youth” mama used to say; She’d climb onto me, become me; Slither under my untightened bow like hopes; Snatching away the coins that my body …
Golden Girls Read Moreकवि-कथाकार-आलोचक रजत रानी ‘मीनू’ की ‘पिता भी होते हैं मां’ काव्य-कृति का प्रकाशन वर्ष- 2015 है। यह काव्य-कृति कई कारणों से उल्लेखनीय है! इस …
इण्डिया बनाम बहिष्कृत भारत की सच्ची तस्वीर पेश करती रजत रानी ‘मीनू’ की कविताएं – ऋत्विक भारतीय Read MoreA VINDICATION OF THE MONSTROUS MYSTIQUE : THE TROUBLE WITH PROCREATION, AND FEMINIST JURISPRUDENCE IN AGAMEMNON “A shudder in the loins engenders there The broken wall, the burning …
A VINDICATION OF THE MONSTROUS MYSTIQUE : THE TROUBLE WITH PROCREATION, AND FEMINIST JURISPRUDENCE IN AGAMEMNON Read More‘फ़र्क नहीं पड़ता’ स्त्रीवादी युवा कवि
ऋत्विक भारतीय की उन कविताओं की सरिणी है जहां हर वर्ग, हर वर्ण, हर सम्प्रदाय की नई स्त्री
ने गहरे संताप की गुमसुम चुप्पी तोड़ दी है
कुछ मौते हैं बनी ठनी
नफ़ासत से तह की हुई तितलियाँ
और कुछ के होते हैं परचम
तार तार हुआ एक पर, थपेड़े खाता हवा में
षोडशी की षोडशोपचार उपासना ४ जो चला जाता है उसे तो नया भुवन मिल जाता किन्तु जो पीछे रह जाता है उसके पुराने संसार में क्षण क्षण जानेवाले का …
माँमुनि- श्रीमाँ शारदा के जीवन पर आधारित उपन्यास / किश्त- ९ Read More“वह एक बड़ी भारी गझिन काली रात थी ,दिन में हरियाले मैदानों की कालिमा, जले हुए मांस के बदबू के साथ जैसे हवा में घुल-मिल गयी थी । लगभग पाँच …
आउशवित्ज़ :एक प्रेमकथा -उपन्यास अंश -गरिमा श्रीवास्तव (अप्रकाशित उपन्यास ) Read More