रेणु की वैचारिक चेतना – शिवदयाल

इतना स्पंदित जीवन! इसी की गूँज, इसी की थरथराहट उनकी रचनाओं में लरज रही है। उनकी रचनाआ में जो लालित्य है – स्थानिकता का, ’लोकल’ का, वह उनके जीवन का ही है, स्वयं उनका जिया हुआ! 

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भारतीय स्त्रियों की स्थिति : सैद्धांतिक बहसें एवं सामाजिक यथार्थ — सुप्रिया पाठक

        बीज शब्द:  लोकतंत्र ,पितृसत्ता, जेंडर, नारीवाद, नारीवादी सिद्धांत , स्त्री अध्ययन   लोकतंत्र की संकल्पना मानव समुदाय के सबसे प्रतिष्ठित आविष्कारों में से एक है। यह …

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यहाँ रोज कुछ बन रहा है — अच्युतानंद मिश्र

       आठवें दशक की कविता की केन्द्रीय संकल्पना क्या है? वह कौन सी दृष्टि या परिकल्पना है, जिसके तहत आठवें दशक की कविता एक नया आयाम रचती है. आठवें …

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सेरेना को लेकर गढ़ा जाता नस्लवादी विमर्श – यादवेन्द्र पाण्डेय/ पुस्तक अंश

    अनेक चर्चित कविता संकलनों के रचयिता अमेरिकी कवि टोनी हॉगलैंड ने “द चेंज” शीर्षक से एक कविता लिख कर एक टेनिस मुकाबले का हवाला देते हुए बगैर सेरेना विलियम्स का नाम …

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