कोनो बाईरेई (1844-1895) की कृति

मृत्यु – नींद का नीला फूल है : बाबुषा कोहली की कविताएँ(2)

जानना   नीम का पेड़ नहीं जानता कि नीम है उसका नाम न पीपल के पेड़ को पता कि वह पीपल है   यह तो आदमी है जो जानता है …

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William Morris MeT Museum

Wild Jasmine : A short story by Paramita Satpathy – Translated from Odia by Snehaprava Das

The forest was aflame. It was the second half of May and the temperature hovered around forty-five degrees Celsius. The sky poured out molten heat. Like a thirst-tormented monster the …

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गूँथा हुआ जीवन : लक्ष्मी कनन की कविताएँ/अनुवाद – अनामिका

गूँथा हुआ जीवन पके हुए वे छेहर बाल बिखरेथे इधर उधर गुलियाए चेहरे पर हँसकर कहा उसने, “अब मेरे हाथ में समय है बालों का जंजाल कम हो गया- छेहर …

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रेणु की वैचारिक चेतना – शिवदयाल

इतना स्पंदित जीवन! इसी की गूँज, इसी की थरथराहट उनकी रचनाओं में लरज रही है। उनकी रचनाआ में जो लालित्य है – स्थानिकता का, ’लोकल’ का, वह उनके जीवन का ही है, स्वयं उनका जिया हुआ! 

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