नियति, प्रारब्ध और चित्र-कथाएं – पूनम अरोड़ा

               स्त्री पक्ष के जिन आयामों को जिस ध्यानानिष्ठ और पारखी दृष्टि से चित्रकार गोगी सरोज पाल ने कैनवस पर उतारा है उससे ऐसी …

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रंगों में खुलती एक आह : आर्टेमिज़िया – मनीषा कुलश्रेष्ठ

  2011की मई में अपनी इटली यात्रा के दौरान मुझे वेनिस, फ्लोरेंस और मिलान जैसे कला के केंद्र शहरों में नितांत अकेले भटकना एक वरदान ही था. उसी भटकाव में …

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