कुछ मौते हैं बनी ठनी : मणि राव की कविताएँ

कुछ मौते हैं बनी ठनी 
नफ़ासत से तह की हुई तितलियाँ
 
और कुछ के होते हैं परचम 
तार तार  हुआ एक  पर, थपेड़े   खाता हवा में
 
एक एक कर  पंखुड़ियाँ  अदब से  झुकी 
कितना  सही  तालमेल  
हमने हर एक को सराहा 
 
अब उघाड़ा  हुआ  
बत्तीसी दिखाता  खोल, बीजों जैसे दांत 
सुखी तुरई 
खड़कती  रैनस्टिक होने को  
 
मगर  जब 
तुम मर रहे हो 
हो जाते हो   गैर- शायराना 
परिवार वाले पता लगा लेते हैं 
किसको क्या मिलना है 
आखिरकार तुम्हें जान लिया जाता है  
 
 
***
 
 
दिन निकलते हैं अंडो से और तुम खिलाते हो उनके उतावले मुंहों को।  
साल खुलते दरवाजों की तरह और  एक करके बंद होते तुम्हारे पीछे; 
कुछ आहिस्ता, कुछ जोर से।    
ठोढी की बरफ़ानी चटान पिघलती जबड़े की ढलान पे।  लम्बी और खाली 
स्तन-जेबें। चमड़ी सिकुड़ती  पानी के अंदर। 
बे लगाम   तुम दो उलटी दिशाओं में छिटकते हो। तुम्हारा दिमाग   
तेजी से  दौड़ता  है, एक सीटी, बिना  परवाह किये; तुम्हारे बदन का
 नायाब हादसा, मैं देख पा रही हूँ ये सब होता। 
 
***
 
 
 
मंजिले गिनते हुए जैसे हम ऊपर की तरफ जाते हैं 
टेड़े मेढ़े सायबान दरवाज़ों के पीछे 
धुंधले होते दोस्तों के फ़ोन नंबर 
हड्डियां धुली हुई शराब और सिरके में 
चिन्हित  की हुई घुंघराले बालों से 
नीबुओं के चेहरे सड़ते  घास में  
पॉप स्टार जनाजो  का पुनर्प्रसारण
डिज़ाइनर मौत की लड़ीवार पेशगी 
घिन  की नकली नुमाइश  गैलरियों में 
बेचते ताबूत एक मंज़र के साथ 
इत्तफाक से अखबार में  पता लगना  पड़ौसी की  काबलियत का 
उस लम्हे का इंतज़ार करते हुए जब मालिश करने वाला थामता है तुम्हारा हाथ 
कुत्ता अब  नहीं  करता तुम्हारी  परवाह 
 
संगीत  दिलासा देता है 
ऐसा लगता है  हमारे जैसे कई  और भी होंगे 
 
***
 
 
ज्यादा बड़े शहरों मे लोग चलते है ज्यादा तेज
माचिस नुमा फ्लैट उनको सरगर्म  रखते हैं। 
 
नशा छा जाता है 
ताड़ के पेड़ के हवाई तंतुओं के नीचे। 
 
झीले  सख्त और 
पौधे जड़े पकड़ते  कंक्रीट में।   
 
कहने को रुकी हुई सी  जिंदगी मगर 
चित्र से बाहर झाँकने को बेताब, 
 
एक राख दानी आगे बढ़ती  और पूछती 
“माचिस है क्या ?”
 
 
***
 
 
मैंने तुम्हारी पीठ पे छुरा घोंपा 
और तुमने मेरी । 
 
अब तुम 
पीछा करते हो मेरा 
एक डांट  की तरह। 
 
 
अपना चेहरा ढोते 
मानो हो  एक जख्म हो 
तुम्हारी  गर्दन पे। 
 
हीरो, 
कीड़ा, 
लाल सुर्ख आँखें, 
 
एक सिहरन सी 
और खुला मैदान है 
हमारे दरमियाँ 
 
जहाँ हम मिलते हैं 
आधी जिंदगी के बाद। 
 
***
 
 
 
निकलने दो 
जहर 
और फरियादें। 
 
गायब होने के एक  साल बाद
तुम हो पहले से तगड़े 
और  ज्यादा साँवले
पेड़ की तरह 
 
और काले
हो गए हैं मेरे दांत। 
 
उठाओ  अपना
खुरदरा सा हाथ 
और मारो थप्पड़ मुझे 
जब भी  मैं कहूं 
तुम मुझसे
प्यार नहीं करते ,
 
दफा हो जाओ, 
निगल  लिए जाओ
मौत से।  
 
 
***
 
क्या खा  जाता है मेरे महबूब  को 
जब मैं करती हूँ अय्याशी। 
क्या वह सजा दे सकता है
हवा को इसकी बेवफाईयां की।  
जब भी वो बोलने लगती और अटकती है, 
मानो वह  एक  पहेली  छुपाती हुई एक चौकन्नी ख़ुशबू।  
 
***
 
 
हर शाम पेड़ अपनी सांसों  मे खींच  लेता है 
घर की तरफ घूमते हुए  परिंदों को एक गर्म शॉल की तरह 
लेकिन मैं अभी भी इंतज़ार कर रही हूँ  तेरी आगोश  में  अपने ठिकाने की
मैं इतने हल्के से बांध लूंगी तुम्हारी रात की उड़ानों की चादरें को 
और  हम एक जान बनकर घूमे फिरेंगे , तुम्हारी पुरानी जमीने और मेरे  नए असमान
और हर सुबह तुम   मुझमे  फूंकोगे एक  उड़ान
 
*****
 

 

 
 
 
मणि  राव  (जन्म -1965 ) एक कवि, अनुवादक और   शोधकर्ता हैं।   इनकी कविताओं   के   ग्यारह  संकलन  और तीन  संस्कृत से  अनुवादित किताबें     छप  चुकी   हैं  ।  कुछ चुनिंदा किताबों में  है : New and Selected Poems (Poetrywala, 2014), Ghostmasters (Chameleon, 2010), Bhagavad Gita  (Autumn Hill Books, 2010; Fingerprint, 2015),  Kalidasa for the 21st Century Reader (Aleph Books, 2014)  और Living Mantra: Mantra, Deity and Visionary Experience Today (Palgrave Macmillan, 2019).  इनकी   कवितायें  कई नामवर कविता संकलनो  में जैसे    W.W.Norton’s Language for a New Century, Indian Literature, Penguin’s 60 Indian Poets, and the Bloodaxe Book of Contemporary Indian Poets  में शामिल की गई  हैं.  2005 और 2009  में  वे   Iowa International Writing Program  का  हिस्सा रही है. इनकी आने वाले किताब   प्रसिद्द संस्कृत साहित्य रचना   ‘सौंदर्य लहरी’ का अनुवाद है। अधिक जानकारी के लिए इनकी वेबसाइट देख सकते हैं -www.manirao.com
 
 
अनुवादक : रणजीत अंग्रेजी के सहायक प्रोफेसर है पंजाब विश्वविद्यालय में।    आजकल  वे एक कविता अनुवाद  प्रोजेक्ट पे काम कर रहे है।    इंस्टाग्राम पे एक कविता पेज का संचालन करते है
 संपर्क :  ranjeetsarpal@gmail.com  
कविता पेज :  https://www.instagram.com/indianpoetry00